![]()
Mon Sep 30 17:56:32 UTC 2024: ## महात्मा गांधी के प्रसिद्ध नारे: अहिंसा, प्रेम और स्वतंत्रता का संदेश
**मुंबई, 8 अगस्त 1942:** महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा देते हुए भारत छोड़ो आंदोलन का आगाज किया। इस आंदोलन का लक्ष्य बिना हिंसा के अंग्रेजी हुकूमत को भारत छोड़ने के लिए मजबूर करना था।
गांधी जी के इस नारे के पीछे अहिंसा का सिद्धांत था। ‘आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी’ यह उनकी प्रसिद्ध कहावत थी। गांधी जी का मानना था कि बदले की भावना से समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता, बल्कि इससे दुनिया में अच्छाई का नाश होगा।
‘बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो’ – इसी कथन से गांधी जी के तीन बंदरों की छवि जुड़ी है। यह उनके प्रसिद्ध नारों में से एक था, जो सकारात्मक सोच और सद्भाव को बढ़ावा देता है।
गांधी जी का जीवन ही ‘अहिंसा परमो धर्म’ का प्रतीक था। उन्होंने अपनी हर लड़ाई बिना हिंसा के लड़ी और लोगों को भी अहिंसा का मार्ग अपनाने का संदेश दिया।
‘पाप से घृणा करो, पापी से नहीं’ – यह कथन गांधी जी की क्षमाशीलता और मानवता का प्रतीक है। उनके अनुसार, गलत काम से नफरत की जा सकती है, लेकिन मनुष्य को क्षमा और प्रेम दिया जाना चाहिए।
गांधी जी के ये नारे आज भी प्रासंगिक हैं। ये हमें अहिंसा, प्रेम, क्षमा और स्वतंत्रता के महान आदर्शों की याद दिलाते हैं।